15 May 2017

जिंदादिल इंसान (Jindadil Insaan - Hindi Kavita)


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Jindadil Insaan - Hindi Kavita

!! जिंदादिल इंसान !!



जिंदादिल इंसान होते है बहुत प्यारे 
लाखों की भीड़ में वो लगते है सबसे न्यारे 


उनकी बातों में होती है एक अलग ही मिठास 
तभी तो खींचे चले जाते है सभी उनके पास 


अपने प्यार का जादू चलाकर बना लेते है वो इस कदर यूँ सबको अपना 
की उनसे दूर रहकर सबकुछ लगता है बस एक सपना 


उनके लिए तो पूरी दुनिया ही होता है एक परिवार 
वो इस कदर करते है यूँ सबसे प्यार 


अपने-पराये का भेद न होता उनके दिल में
इंसान तो बस इंसान ही होता है उनकी नजर में 


बहुत खुशकिस्मत है आप अगर आपका दिल ज़िंदा है 
इस दिल को यूँ ही ज़िंदा रखना जनाब
क्योंकि यही तो वो हूनर है जो बनाता है आपको सबसे ख़ास ||










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14 May 2017

कुछ नहीं भूली हूँ मैं माँ (Maa - Hindi Poem)


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Maa - Hindi Poem


!! कुछ नहीं भूली हूँ मैं माँ !!




वो पापा की डाँट से तेरा मुझे बचाना
वो हर सुबह तेरा यूँ प्यार से मुझे जगाना 


वो किचन में सबसे छुपाकर मेरे लिए कुछ बनाना
वो प्यार से डाँट कर तेरा मुझे पढाना


वो हर गलती पर तेरा यूँ प्यार से मुझे समझाना
वो मेरी हर ख़ुशी के लिए तेरा यूँ सबसे लड़ जाना


वो मेरे बिना कहे ही तेरा यूँ सब कुछ समझ जाना
सच में अभी तक कुछ भी नहीं भूली हूँ मैं माँ


माँ तेरी बहुत याद आती है
याद आते ही आँखें नम हो जाती है


एक तू ही तो मेरी दुनिया थी मेरी जान थी
अगर मैं सच कहूँ तो तू ही मेरा भगवान थी ||










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06 May 2017

संगठन गढ़े चलो (Short Desh Bhakti Poem in Hindi)



Short Desh Bhakti Poem in Hindi)

!! संगठन गढ़े चलो !!





संगठन   गढ़े   चलो ,  सुपंथ   पर   बढ़े   चलो ,
भला हो जिसमें देश का वो काम सब किए चलो |


युग के साथ मिल के सब कदम बढ़ाना सीख लो
एकता  के  स्वर  में  गीत  गुनगुना   सीख  लो ,
भूलकर भी मुख में जाति  पंथ की  न  बात  हो
भाषा   प्रांत   के  लिए  कभी   न  रक्त-पात  हो ,
फुट   का   घरा   भरा   है , फोड़कर   बढ़े   चलो
भला हो जिसमें देश का वो काम सब किए चलो |



आ   रही   आज  चारों   ओर   से   यही   पुकार
हम   करेंगे  त्याग   मातृभूमि  के  लिए  अपार ,
कष्ट  जो   मिलेंगे   मुस्कुराके   सब  सहेंगे  हम
देश   के   लिए  सदा   जियेंगे   और  मरेंगे  हम ,
देश का ही भाग्य , अपना भाग्य है  ये  सोच  लो
भला हो जिसमें देश का वो काम सब किए चलो ||






Also Read :-  अब जाग उठो कमर कसो (Best Inspirational Hindi Poem)
लक्ष्य न ओझल होने पाये (self motivation poem in Hindi)
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Note :- This inspirational poem is not my original creation .


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02 May 2017

जिंदगी को अगर जीना है तो जीने के लिए जीना (Zindagi - Hindi Kavita)



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Jindagi - Hindi Kavita




!! जिंदगी को अगर जीना है तो जीने के लिए जीना !!


जिंदगी को अगर जीना है तो जीने के लिए जीना
हर क्षण , हर पल , हर लम्हे को खुल करके जीना ,


कुछ करना , कुछ बनना , कुछ हारना , कुछ जीतना
इनमें इतना ना खो जाना की , तुम जिंदगी को ही ना भूल जाना ,


रोना तो खुल के , हँसना तो खुल के , नाचना तो खुल के , गाना तो खुल के
तुम जिंदगी के हर लम्हे में बस यूँ ही खुल जाना ,


ये जो पल तुम अभी जी रहे हो
बस इसे ही जीते चले जाना क्योंकि ,


ना इसके आगे कुछ है और ना ही इसके पीछे
जो भी है इस पल में , तुम बस इसमें खो जाना ,


जिंदगी को अगर जीना है तो जीने के लिए जीना
हर क्षण , हर पल , हर लम्हे को खुल करके जीना || 









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28 April 2017

जिंदगी का रास्ता (Kahani in Hindi with Moral)


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 Kahaniya in Hindi with Moral


!! जिंदगी का रास्ता  !!




एक बार एक आदमी रात के अँधेरे में शहर से थोड़ी दूर अपने एक दोस्त के घर उससे मिलने के लिए जाने वाला होता है | उसे अपने दोस्त के घर का रास्ता तो पता होता है पर जैसे ही वह आदमी जाने के लिए अपनी गाड़ी में बैठता है तो उसे इतने अँधेरे में दूर-दूर तक कुछ भी नहीं दिखाई पड़ता है तो वह बहुत परेशान हो जाता है की अब वह अपने दोस्त के घर कैसे जा पाएगा ? उसे कुछ नहीं समझ आ राहा होता है की वह अपने दोस्त से मिलने कैसे जा पायेगा ?



इसी सोच में वह वहाँ थोड़ी देर तक खड़ा रहता है | तभी सामने से एक दूसरा आदमी आता है और उससे पूछता है - "भाई ! तुम इतनेपरेशान क्यों हो ? अगर तुम मुझे बता दो तो हो सकता की मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ तो वह आदमी उसे अपनी सारी परेशानी बता देता है की वह अपने दोस्त से मिलना चाहता है | उसे अपने दोस्त के घर का रास्ता भी पता है पर इतने अँधेरे में उसे कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा है |

तो वह दूसरा आदमी उसकी बातें सुनकर कुछ देर सोचता है और सोचना के बाद उसे समझाते हुए कहता है - "देखो भाई ! तुम कह तो बिल्कुल सही रहे हो कि तुम्हे जब पूरा रास्ता नहीं दिखाई पड़ रहा है तो तुम अपने दोस्त के घर कैसे पहुँचोगे

पर मेरे पास इसका एक उपाय है  - "भले ही तुम्हे पूरा रास्ता न दिखाई पड़ रहा हो पर तुम एक बार ध्यान से देखो तुम्हारे गाड़ी की लाइट की रोशनी से तुम्हे कुछ दूर तक का रास्ता तो दिखाई पड़ ही रहा है | अभी यहाँ से जहाँ तक तुम्हे रास्ता दिखाई पड़ रहा है वहाँ तक तो तुम आसानी से जा ही सकते हो और जैसे ही तुम वहाँ पहुँचोगे तो तुम्हे थोड़ी दूर और आगे का रास्ता तुम्हे अपने आप नजर आ जाएगा और इस तरह तुम थोड़ा-थोड़ा करके ही मगर अपने दोस्त के घर आसानी से पहुँच जाओगे |

दूसरे वाले आदमी की बातें वह पहला वाला आदमी उसे धन्यवाद कहता है और धीरे-धीरे उस थोड़ी-सी रोशनी के सहारे ही अपने दोस्त के घर आसानी से पहुँच जाता है |



Moral :- दोस्तों , इस story को अगर हम अपनी life से relate करें तो हमारी life में हमारे साथ भी बिल्कुल ऐसे ही होता है की हमें अपनी life में क्या करना है ये तो पता होता है जैसे उस आदमी को ये तो पता होता है कि उसे अपने दोस्त के घर उससे मिलने जाना है पर पूरा रास्ता न दिखाई पड़ने के कारण वह एक कदम भी नहीं चलता है (जहाँ तक वो चल सकता था) | ठीक इसी आदमी की तरह हम भी यही करते रह जाते है हममें से बहुतों को ये तो पता होता है की क्या करना है पर कभी-कभी उसे करने का रास्ता पूरा साफ़ दिखाई नहीं पड़ता है तो हम उसे या तो करते ही नहीं है या फिर उसे आधे में ही छोड़ देते है |

लेकिन दोस्तों अगर हम ध्यान से देखे तो हमें पूरा रास्ता दिखाई न पड़ रहा हो लेकिन हमें आगे के चार कदम मतलब कुछ दूर तक का रास्ता तो जरुर दिखाई पड़ता ही है और अगर हम उस पर चले तो  हमें उसके आगे का रास्ता भी दिखाई पड़ने लग जाएगा और धीरे-धीरे ही सही हम वहाँ पहुँच जाएगें जहाँ हम जाना चाहते है लेकिन यह तभी possible ही जब हम उस चार कदम आगे तक चले न की वहीँ पर खड़े हो कर पूरे रास्ते के देखने की कोशिश करते रह जाएँ |

तो दोस्तों अब decide आपको करना है की आपको क्या करना है ......... आपको भी उस आदमी की तरह खड़े हो कर वहीं पर सोचते रहना है और इन्तजार करना है पूरा रास्ता देखने का या फिर खुद से कुछ कदम आगे चलना है और वहाँ पहुँचना है जहाँ आप चाहते हो |





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24 April 2017

हम सब सुमन एक उपवन के (Hindi Poem)

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हम सब सुमन एक उपवन के (Hindi Poem)

!! हम सब सुमन एक उपवन के !!


एक हमारी धरती सबकी जिसकी मिट्टी से जन्में हम
मिली एक ही धुप हमें है सींचे गए एक जल से हम
पले हुए है झूल-झूल कर पलनों में हम एक पवन के
हम सब सुमन एक उपवन के 


रंग-रंग के रूप हमारे अलग-अलग है क्यारी-क्यारी
लेकिन हम सब से मिलकर ही इस उपवन की शोभा सारी
एक हमारा माली हम सब रहते नीचे एक गगन के
हम सब सुमन एक उपवन के 


सूरज एक हमारा , जिसकी किरणें उसकी कली खिलाती
एक हमारा चाँद , चाँदनी जिसकी हम सब को नहलाती
मिले एक से स्वर हमको है भ्रमरों के मीठे गुंजन से
हम सब सुमन एक उपवन के 


काँटों-से मिल कर हम सब ने हँस-हँस कर है जीना सीखा
एक सूत्र में बंधकर हमने हार गले का बनना सीखा
सबके लिए सुगंध हमारी हम श्रृंगार धनी-निर्धन के
हम सब सुमन एक उपवन के ||


- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी







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जो बीत गई सो बात गई (Hindi Poem)

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जो बीत गई सो बात गई (Hindi Poem)

!! जो बीत गई सो बात गई !!


जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वो डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इस के प्यारे छूटे
जो छुट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई 


जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सुख गया तो सुख गया
मधुवन की छाती को देखो
सुखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाई कितनी बल्लरियाँ
जो मुरझाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई


जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन-मन दे डाला था
वो टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते है
गिर मिटटी में मिल जाते है
जो गिरते है कब उठते है
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई


मृदु मिटटी के बने हुए
मधु घट फूटा ही करते है
लघु जीवन लेकर आये है
प्याले टुटा ही करते है
फिर भी मदिरालय के अंदर
मधु के घट है मधु प्याले है
जो मादकता के मारे है
वो मधु लुटा ही करते है
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घाट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई ||


- हरिवंश रॉय बच्चन






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