28 April 2017

जिंदगी का रास्ता (Kahani in Hindi with Moral)


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 Kahaniya in Hindi with Moral


!! जिंदगी का रास्ता  !!




एक बार एक आदमी रात के अँधेरे में शहर से थोड़ी दूर अपने एक दोस्त के घर उससे मिलने के लिए जाने वाला होता है | उसे अपने दोस्त के घर का रास्ता तो पता होता है पर जैसे ही वह आदमी जाने के लिए अपनी गाड़ी में बैठता है तो उसे इतने अँधेरे में दूर-दूर तक कुछ भी नहीं दिखाई पड़ता है तो वह बहुत परेशान हो जाता है की अब वह अपने दोस्त के घर कैसे जा पाएगा ? उसे कुछ नहीं समझ आ राहा होता है की वह अपने दोस्त से मिलने कैसे जा पायेगा ?



इसी सोच में वह वहाँ थोड़ी देर तक खड़ा रहता है | तभी सामने से एक दूसरा आदमी आता है और उससे पूछता है - "भाई ! तुम इतनेपरेशान क्यों हो ? अगर तुम मुझे बता दो तो हो सकता की मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ तो वह आदमी उसे अपनी सारी परेशानी बता देता है की वह अपने दोस्त से मिलना चाहता है | उसे अपने दोस्त के घर का रास्ता भी पता है पर इतने अँधेरे में उसे कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा है |

तो वह दूसरा आदमी उसकी बातें सुनकर कुछ देर सोचता है और सोचना के बाद उसे समझाते हुए कहता है - "देखो भाई ! तुम कह तो बिल्कुल सही रहे हो कि तुम्हे जब पूरा रास्ता नहीं दिखाई पड़ रहा है तो तुम अपने दोस्त के घर कैसे पहुँचोगे

पर मेरे पास इसका एक उपाय है  - "भले ही तुम्हे पूरा रास्ता न दिखाई पड़ रहा हो पर तुम एक बार ध्यान से देखो तुम्हारे गाड़ी की लाइट की रोशनी से तुम्हे कुछ दूर तक का रास्ता तो दिखाई पड़ ही रहा है | अभी यहाँ से जहाँ तक तुम्हे रास्ता दिखाई पड़ रहा है वहाँ तक तो तुम आसानी से जा ही सकते हो और जैसे ही तुम वहाँ पहुँचोगे तो तुम्हे थोड़ी दूर और आगे का रास्ता तुम्हे अपने आप नजर आ जाएगा और इस तरह तुम थोड़ा-थोड़ा करके ही मगर अपने दोस्त के घर आसानी से पहुँच जाओगे |

दूसरे वाले आदमी की बातें वह पहला वाला आदमी उसे धन्यवाद कहता है और धीरे-धीरे उस थोड़ी-सी रोशनी के सहारे ही अपने दोस्त के घर आसानी से पहुँच जाता है |



Moral :- दोस्तों , इस story को अगर हम अपनी life से relate करें तो हमारी life में हमारे साथ भी बिल्कुल ऐसे ही होता है की हमें अपनी life में क्या करना है ये तो पता होता है जैसे उस आदमी को ये तो पता होता है कि उसे अपने दोस्त के घर उससे मिलने जाना है पर पूरा रास्ता न दिखाई पड़ने के कारण वह एक कदम भी नहीं चलता है (जहाँ तक वो चल सकता था) | ठीक इसी आदमी की तरह हम भी यही करते रह जाते है हममें से बहुतों को ये तो पता होता है की क्या करना है पर कभी-कभी उसे करने का रास्ता पूरा साफ़ दिखाई नहीं पड़ता है तो हम उसे या तो करते ही नहीं है या फिर उसे आधे में ही छोड़ देते है |

लेकिन दोस्तों अगर हम ध्यान से देखे तो हमें पूरा रास्ता दिखाई न पड़ रहा हो लेकिन हमें आगे के चार कदम मतलब कुछ दूर तक का रास्ता तो जरुर दिखाई पड़ता ही है और अगर हम उस पर चले तो  हमें उसके आगे का रास्ता भी दिखाई पड़ने लग जाएगा और धीरे-धीरे ही सही हम वहाँ पहुँच जाएगें जहाँ हम जाना चाहते है लेकिन यह तभी possible ही जब हम उस चार कदम आगे तक चले न की वहीँ पर खड़े हो कर पूरे रास्ते के देखने की कोशिश करते रह जाएँ |

तो दोस्तों अब decide आपको करना है की आपको क्या करना है ......... आपको भी उस आदमी की तरह खड़े हो कर वहीं पर सोचते रहना है और इन्तजार करना है पूरा रास्ता देखने का या फिर खुद से कुछ कदम आगे चलना है और वहाँ पहुँचना है जहाँ आप चाहते हो |





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