24 April 2017

जो बीत गई सो बात गई (Hindi Poem)

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जो बीत गई सो बात गई (Hindi Poem)

!! जो बीत गई सो बात गई !!


जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वो डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इस के प्यारे छूटे
जो छुट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई 


जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सुख गया तो सुख गया
मधुवन की छाती को देखो
सुखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाई कितनी बल्लरियाँ
जो मुरझाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई


जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन-मन दे डाला था
वो टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते है
गिर मिटटी में मिल जाते है
जो गिरते है कब उठते है
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई


मृदु मिटटी के बने हुए
मधु घट फूटा ही करते है
लघु जीवन लेकर आये है
प्याले टुटा ही करते है
फिर भी मदिरालय के अंदर
मधु के घट है मधु प्याले है
जो मादकता के मारे है
वो मधु लुटा ही करते है
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घाट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई ||


- हरिवंश रॉय बच्चन






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Note :-  This inspirational poem is not my original creation .


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