24 April 2017

हम सब सुमन एक उपवन के (Hindi Poem)

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हम सब सुमन एक उपवन के (Hindi Poem)

!! हम सब सुमन एक उपवन के !!


एक हमारी धरती सबकी जिसकी मिट्टी से जन्में हम
मिली एक ही धुप हमें है सींचे गए एक जल से हम
पले हुए है झूल-झूल कर पलनों में हम एक पवन के
हम सब सुमन एक उपवन के 


रंग-रंग के रूप हमारे अलग-अलग है क्यारी-क्यारी
लेकिन हम सब से मिलकर ही इस उपवन की शोभा सारी
एक हमारा माली हम सब रहते नीचे एक गगन के
हम सब सुमन एक उपवन के 


सूरज एक हमारा , जिसकी किरणें उसकी कली खिलाती
एक हमारा चाँद , चाँदनी जिसकी हम सब को नहलाती
मिले एक से स्वर हमको है भ्रमरों के मीठे गुंजन से
हम सब सुमन एक उपवन के 


काँटों-से मिल कर हम सब ने हँस-हँस कर है जीना सीखा
एक सूत्र में बंधकर हमने हार गले का बनना सीखा
सबके लिए सुगंध हमारी हम श्रृंगार धनी-निर्धन के
हम सब सुमन एक उपवन के ||


- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी







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Note :-  This inspirational poem is not my original creation .


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2 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने
    www.supportmeyaar.com

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    Replies
    1. कमेंट करने के लिए धन्यवाद पर ये कविता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी की है ..........

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