!! हम सब सुमन एक उपवन के !!
एक हमारी धरती सबकी जिसकी मिट्टी से
जन्में हम
मिली एक ही धुप हमें है सींचे गए एक
जल से हम
पले हुए है झूल-झूल कर पलनों में हम
एक पवन के
हम सब सुमन एक उपवन के
रंग-रंग के रूप हमारे अलग-अलग है
क्यारी-क्यारी
लेकिन हम सब से मिलकर ही इस उपवन की
शोभा सारी
एक हमारा माली हम सब रहते नीचे एक
गगन के
हम सब सुमन एक उपवन के
सूरज एक हमारा , जिसकी किरणें उसकी कली खिलाती
एक हमारा चाँद , चाँदनी जिसकी हम सब को नहलाती
मिले एक से स्वर हमको है भ्रमरों के
मीठे गुंजन से
हम सब सुमन एक उपवन के
काँटों-से मिल कर हम सब ने हँस-हँस
कर है जीना सीखा
एक सूत्र में बंधकर हमने हार गले का
बनना सीखा
सबके लिए सुगंध हमारी हम श्रृंगार
धनी-निर्धन के
हम सब सुमन एक उपवन के ||
- द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
Also read :- काँटों में राह बनाते है (Motivational Poem in Hindi)
...............................................................
यदि आपके पास हिंदी में कोई good article, poem, inspirational story, या जानकारी है , जो आप हमारे साथ share करना चाहते है, तो कृपया हमसे contact करे (Contact Us) , पसंद आने पर हम उसे आप के नाम और photo के साथ यहाँ publish करेंगे , Thanks !
loading...
Note :- This inspirational poem is not my original creation .
निवेदन :- कृपया अपने comments के माध्यम से जरुर बताएं की आपको यह Poem कैसा लगा और यदि आपको यह poem पसंद आया तो please इसे अपने friends के साथ जरुर share करे |
यदि आपके पास हिंदी में कोई good article, poem, inspirational story, या जानकारी है , जो आप हमारे साथ share करना चाहते है, तो कृपया हमसे contact करे (Contact Us) , पसंद आने पर हम उसे आप के नाम और photo के साथ यहाँ publish करेंगे , Thanks !
बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने
ReplyDeletewww.supportmeyaar.com
कमेंट करने के लिए धन्यवाद पर ये कविता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी की है ..........
Delete