!! सफलता की कामना !!
यदि कोई पूछे , कि जीवन में होना क्या चाहोगे –
सफल या विफल ?
उत्तर है पता सभी को सफल , सफल और सिर्फ सफल
क्यों भला विफल ?
पर सफलता है क्या इतनी सरल ! नहीं-नहीं , कठिन ,
बहुत कठिन है इसकी डगर ,
इसलिए तो सफल लोंगों की संख्या होती है इतनी
विरल |
सफलता का मूल्य समझ में आता है जब-तक , देर हो
चुकी होती है अक्सर तब-तक ,
आती है यह बात समझ में उसे और सिर्फ उसे , बिता
चुका हो जिंदगी देख विफलता की झलक |
बीत जाता जब समय सोच-सोच आदमी पछताता है , करता
है कामना – कि काश ! लौट आए वह घड़ी , जहाँ से नियति नैया थी मुड़ी – एक , सिर्फ एक
मौका तो मिल जाता बस !
पर इतनी भी नहीं कठिन सफलता की डगर कि चलना चाहे
कोई इस राह पर और जाए फिसल |
चाहिए तो बस , माँ का संतुलित दुलार , पिता की
निगरानी , फटकार और हाँ दोस्ताना व्यवहार , भाई , बहन , दोस्तों का स्नेह और प्रेरणा
तो है ही अहम् पारिपार्श्विक स्पर्धा एवं दिशा निर्देशेक गुरु की भूमिका , भी नहीं
है कुछ कम |
पर सबसे महत्वपूर्ण है तो मनुज स्वयं ही – जो
कामना तो करता है सफलता की पर करता नहीं है उद्यम | सफलता , मिलती नहीं इच्छा मात्र
से , करना पड़ता है कर्म |
जीवन तो है ही एक तपस्या , जिसमे तपकर यदि कोई
वीर सफलता रूपी इच्छा को पा गया , तो समझो तर गया | क्योंकि , सफलता तट पर ही है जीवन
- असली जीवन , बाकी तो है भ्रम और केवल भ्रम |
इसलिए हमारी तो यही
शुभकामना कि बनो वीर , सफल बनो , बनो सफल ||
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Note :-
This inspirational poem is not my original
creation .
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Very nice poem ji
ReplyDeleteHelped so much