➣ इस Post का Youtube Video देखने के लिए यहाँ click करे ☺
!! जाओ और आओ !!
एक गाँव में एक धनी मनुष्य रहता था | उसका नाम
भैरोमल था | भैरोमल के पास बहुत सारे खेत थे | वह बहुत सुस्त और आलसी था | वह हमेशा अपने मजदुर और
नौकरों को भेजकर ही अपना सारा काम कराता था |
मजदूर और नौकर मनमाना काम करते थे | वे लोग खेत पे तो
थोड़ी देर काम करते थे , बाकी घर बैठे रहते थे , इधर-उधर घूमते या गप्पे उड़ाया करते थे | खेत न तो
ठीक से जोते जाते थे , न सींच जाते थे और न उनमें ठीक खाद ही
पड़ती थी | खेतों में बीज भी ठीक से नहीं पड़ते थे और उनकी घास
तो कोई निकालता ही नहीं था | इसका फल यह हुआ कि खेत में उपज
धीरे-धीरे घटने लगी | थोड़े ही दिनों में भैरोमल गरीब होने
लगा |
उसी गाँव में राम प्रसाद नामक एक दूसरा किसान था | उसके पास
खेत नहीं थे | वह भैरोमल के ही कुछ खेत लेकर खेती करता था ;
किन्तु वह था बहुत परिश्रमी | अपने मजदूरों के
साथ वह खेत पर जाता था , डटकर परिश्रम करता था | उसके खेत भले प्रकार से जोते और सींचे जाते थे | अच्छी
खाद पड़ती थी | घास निकाली जाती थी और बीज भी समय पर बोये
जाते थे | उसके घर के लोग भी खेत पर काम करते थे | उसके खेत में उपज अच्छी होती थी | लगान देकर और खर्च
करके भी वह बहुत-सा अन्न बचा लेता था | और इस तरह अपनी मेहनत
और सूझ-बुझ से थोड़े ही दिनों में राम प्रसाद धनी हो गया |
कुछ दिनों बाद जब भैरोमल बहुत गरीब हो गया , उसके ऊपर
महाजनों का ऋण हो गया तो उसे अपने खेत बेचने की आवश्यकता जान पड़ी | यह समाचार पाकर रामप्रसाद उसके पास आया और बोला - मैंने सुना है कि आप
अपने खेत बेचना चाहते है | कृपा करके आप मेरे हाथ अपने
खेत बेचें | मैं दूसरों से कम मूल्य नहीं दूंगा |
भैरोमल ने आश्चर्य से पूछा- "भाई रामप्रसाद मेरे पास इतने खेत
थे , फिर भी मैं ॠणी हो गया हूँ , किन्तु तुम्हारे पास
इतना धन कहाँ से आ गया है ?" तुम तो मेरे ही थोड़े-से
खेत लेकर खेती करते हो | उन खेतों की लगान भी तुम्हें देनी
पड़ती है और घर का भी काम चलाना पड़ता है | मेरे खेत खरीदने के
लिए तुम्हें रूपये किसने दिए ?
राम प्रसाद ने कहा - "मुझे रूपये किसी ने नहीं दिया | रूपये तो
मैंने खेतों की उपज से ही बचकर इकठ्ठे किये है | आपकी खेती
और मेरी खेती में एक अंतर है | आप नौकरों-मजदूरों आदि सबसे
काम करने के लिए "जाओ-जाओ कहते है , इससे आपकी संपत्ति
भी चली गयी | मैं अपने मजदूरों और नौकरों से पहले काम करने
को तैयार होकर उन्हें अपने साथ काम करने के लिए सदा आओ-आओ कहकर बुलाता हूँ |
इससे मरे यहाँ संपत्ति आती है |
अब भैरोमल राम प्रसाद की बात समझ गया था | उसने
थोड़े-से खेत रामप्रसाद के हाथ बेचकर अपना ऋण चूका दिया और बाकी खेतों में
परिश्रमपूर्वक खेती करने लगा | थोड़े ही दिनों में उसकी दशा
सुधर गयी | वह फिर सुखी और संपन्न हो गया |
Moral - दूसरों
के ऊपर हमारी निर्भरता हमें कभी भी सफलता नहीं दिला सकती बल्कि इसके लिए तो हमें
स्वयं ही परिश्रम करना पड़ेगा |
Also read :- अन्य प्रेरणादायक कहानियाँ पढने के लिए यहाँ क्लिक करें ....
पहचानिए अपनी छुपी हुई संपदा को (Motivational Story in Hindi)
आत्मनिरीक्षण (Story in hindi with moral)
जीवन में कुछ भी व्यर्थ नहीं है (Moral Story in Hindi)
...........................................................................
loading...
Note :- This inspirational Story is not my original creation .
निवेदन :- कृपया अपने comments के माध्यम से जरुर बताएं की आपको यह Story कैसी लगी और यदि आपको यह story पसंद आयी तो please इसे अपने friends के साथ जरुर share करे |
यदि आपके पास हिंदी में कोई good article, poem, inspirational story,या जानकारी है , जो आप हमारे साथ share करना चाहते है, तो कृपया हमसे contact करे (Contact Us) , पसंद आने पर हम उसे आप के नाम और photo के साथ यहाँ publish करेंगे , Thanks !
बहुत ही सही शिक्षा दी है इस कहानी ने- "दूसरों के ऊपर हमारी निर्भरता हमें कभी भी सफलता नहीं दिला सकती बल्कि इसके लिए तो हमें स्वयं ही परिश्रम करना पड़ेगा".
ReplyDeleteधन्यवाद
Deletebahut behtareen
ReplyDeleteDhanywad
Deletebahut badhiya lekh h sir apka lekh mene achhikhabar par padha or apke blog par dekha vakai kafi achhe article ka collection h apke pas
ReplyDeleteDhanywad Kumar ji ..........
Delete