!! नेकी का बदला !!
एक पेड़ की डाल पर एक कबूतर बैठा था | वह पेड़ नदी के किनारे था | कबूतर ने डाल पर बैठे-बैठे नीचे देखा कि नदी के पानी में एक चींटी बहती जा रही है | वह बेचारी बार-बार किनारे आना चाहती थी किन्तु पानी की धारा उसे अपने साथ बहाए जा रही थी | ऐसा लगता था की वह चींटी थोड़े ही क्षणों में पनी में डूब कर मर जाएगी |
यह सब देख रहे उस कबूतर को उस चींटी पर दया आ आ गई उसने चोंच से एक पत्ता तोड़कर पानी में गिरा दिया | वह चींटी उस पत्ते पर चढ़ गयी और पानी से बाहर आ गयी | पानी से बाहर आकर चींटी कबूतर की प्रशंसा करने लगी |
उसी समय एक बहेलिया वहां आया और पैर के नीचे छिपकर बैठ गया | कबूतर ने बहेलिये को नहीं देखा | जैसे ही उस बहेलिये ने अपना बांस कबूतर को फँसाने के लिए ऊपर बढ़ाया | उस चींटी ने यह सब देख लिया और वह तुरंत उस पेड़ की ओर दौड़ी | वह बोल सकती तो अवश्य पुकार कर सावधान कर देती पर वह बोल तो सकती नहीं थी | लेकिन अपने प्राण बचने वाले कबूतर की रक्षा करनेका उसने विचार कर लिया था | पेड़ के नीचे पहुँचकर चींटी बहेलिये के पैर पर चढ़ गयी और उसने उसकी जाँघों में जोर से काट लिया |
चींटी के काटने से वह बहेलिया चमक गया | उसका बांस हिल गया और इससे पेड़ के पत्ते हिल गए और कबूतर सावधान होकर उड़ गया |
Moral :- जो संकट में पड़े लोगों कि सहायता करता है , उस पर संकट आने पर उसकी सहायता का प्रबंध भगवान अवश्य कर देते है | इसलिए दोस्तों , हमें भी हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए |
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नेकी का बदला भलाई से ही दिया जाता है और दिया जाना चाहिए.
ReplyDeleteबेस्ट स्टोरी.
धन्यवाद
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