!! अब जाग उठो कमर कसो !!
अब जाग उठो कमर कसो , मंजिल की राह बुलाती है ,
ललकार रही हमको दुनिया , भेरी आवाज लगाती है ||
है ध्येय हमारा दूर सही , पर साहस भी तो क्या कम है ,
हम राह अनेकों साथी है , क़दमों में अंगद का दम है ,
सोने की लंका राख करे , वह आग लगानी आती है ||
ललकार रही हमको दुनिया , भेरी आवाज लगाती है ||
पग-पग पर कांटें बिछे हुए , व्यवहार कुशलता हम में है ,
विश्वास विजय का अटल लिए , निष्ठा कर्मठता हम में है ,
विजयी पुरुषों की परम्परा अनमोल हमारी थाती है ||
ललकार रही हमको दुनिया , भेरी आवाज लगाती है ||
हम शेर शिवा के अनुगामी , राणा प्रताप की आन लिए ,
केशव माधव का तेज लिए , अर्जुन का शर-संधान लिए ,
संगठन तंत्र की परम्परा वैभव का साज सजाती है ||
ललकार रही हमको दुनिया , भेरी आवाज लगाती है ||
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Note :- This inspirational poem is not my original creation .
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