अंधे की
लाठी बन जाना ,
भटके जन को राह दिखाना |
और अनाथों
को अपनाना ,
कष्ट सभी के दूर हटाना |
कंटक चुनना ,सुमन सजाना ,
अन्धकार में ज्योति जलना |
भूखे जन की क्षुधा मिटाना ,
प्यासे को जलपान करना |
रोगी को
औषध पहुँचाना ,
शोक-विफल को गले लगाना |
रोते को
धीरज बँधवाना ,
आहों में सुख-चैन बसाना |
निर्धन को निज अर्थ लुटाना ,
निर्बल को बल बन दिखलाना |
निर्जन का निज जन बन जना,
अपने प्रण पर प्राण गँवाना |
जो कुछ कहना कर दिखलाना ,
कर्मवीर जग में कहलाना
|
सदा धर्म पर
बलि हो जाना ,
कुपथ छोड़ सत्य पथ अपनाना |
सज्जन सेवा में सुख पाना ,
काम ,क्रोध को मार भागना |
द्वेष , वैर को दूर भागना
,
प्रभु चिंतन में ही सुख पाना |
परधन पर न कभी ललचाना ,
पर नारी पर ना ध्यान लगाना |
सादे जीवन
में रस पाना
,
नहीं सफलता में तुम इतराना |
नहीं विफलता
में डिग जाना ,
नहीं किसी पर दोष लगाना |
जीवन के सार्थक मार्ग अपनाना ,
सच्ची उपासना नहीं भुलाना |
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Note :- This inspirational poem is not my original
creation .
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